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पंचानन सिंह बगहा पश्चिमी चंपारण।
बगहा 29 जनवरी।इंडो नेपाल सीमा पर गंडक नारायणी तट के त्रिवेणी संगम पर माघ मौनी अमावस्या पर्व के मौके पर वाल्मीकीनगर पहुंचकर भक्तों ने स्नान कर पूजा अर्चना की। फिर दान स्वरूप चावल, तिल और गोदान कर मोक्ष प्राप्ति की कामना की।माघ मौनी अमावस्या पर नारायणी गंडक नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने ब्रह्म बेला से ही त्रिवेणी संगम में स्नान करना शुरू कर दिया।इस मौके पर भक्तों ने श्रद्धापूर्वक तिल, चावल और नकदी समेत गोदान किया।
बता दें कि गंडक नदी में सोनभद्र, तमसा और नारायणी नदी मिलती है। यही वजह है कि प्रयागराज के बाद यह दूसरा बड़ा त्रिवेणी संगम है।लिहाजा प्रत्येक वर्ष माघ मौनी अमावस्या पर्व पर बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल के विभिन्न इलाकों से लाखों की संख्या में स्नान-दान करने लोग पहुंचते हैं।
चावल, तिल दान करते है।इस त्रिवेणी संगम पर स्नान करने का महत्व काफी बढ़ जाता है।कन्यादान और गोदान सबसे बड़ा दान ।बता दें कि, ”माघ मौनी अमावस्या महापर्व का धार्मिक महत्व तो है ही, साइकोलॉजिकल महत्व भी अहम है।हम पूर्व से ही देखते समझते आ रहे हैं कि कोई भी स्नान दान वाला पर्व ठंड के मौसम में ही पड़ता है। इसका मुख्य कारण यह है कि जाड़े में लोग नहाने में आलस करते हैं। नतीजतन ठंड के मौसम में स्नान दान करने से आलस का त्याग होता है। गोदान की परम्परा है, जिसका भक्त निर्वहन भी करते हैं। कन्यादान और गोदान जैसा इस दुनिया में कोई दान नहीं।