
पंचानन सिंह बगहा पश्चिमी चंपारण।
मधुबनी। अनुमंडल अंतर्गत मधुबनी प्रखंड स्थित राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज मधुबनी के पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने वृंदावन धाम यात्रा वृत्तांत, पिता पंडित जगदम्बा उपाध्याय को श्रद्धा पूर्वक सुनाया तो पिता जी ने कहा कि —-
श्री कृष्ण भक्तों के लिए एक मार्गदर्शक ,रक्षक और मुक्तिदाता हैं ।उनके चरणों में ध्यान लगाने से भक्त जीवन के सभी सुखों को प्राप्त करते हैं और जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं।जब हम किसी को बार-बार याद करते हैं तोउनकीकमी,कमजोरी, बीमारी, गुण सब हमारे *अंदर* भरते जाते हैं। तो सोचो सारा दिन हमेशा अगर हम *परमात्मा* को याद करें तो उनके *गुण* और *शक्तियाँ* हमारे अंदर कितनी होंगी?
हर पल हमारे *मन* में चल रहा हर *विचार* हमारे शरीर को स्वस्थ कर रहा है या बीमार! संसार और सांसारिकता से जुड़े नकारात्मक और व्यर्थ विचार शरीर को *बीमार* करते हैं, जबकि*आत्मा*और*परमात्मा* से जुड़े विचार शरीर को*स्वस्थ* रखते हैं। अतः जितना जरूरी हो उतना ही देह व संसार के बारे में सोचें, बाकी समय आत्म ज्ञान *चिंतन* में बिताएं। *आगे बढ़ते रहने के लिए यही सोच पर्याप्त है कि हमारे जीवन का सर्वोत्तम समय आना अभी शेष है।
*मां -बाप अपने बच्चों को,पढ़ा लिखाकर काबिल बनाते हैं मगर बच्चे इतने काबिल बन जाते हैं,कि मां बाप ही उनके काबिल नहीं रहते।*खुद को खुद ही खुश रखें। ये जिम्मेदारी किसी और को न दें। जिंदगी परिवर्तनों से ही बनी है। किसी भी परिवर्तन से *घबराएं* नहीं, बल्कि उसे *स्वीकार* करें। कुछ परिवर्तन आपको *सफलता* दिलाएंगे तो कुछ सफल होने के *गुण* सिखाएंगे। संसार में जो भी संस्कारी परिवार हैं, उनमें पिता का आशीर्वाद सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया है। प्रातः पिता का प्रणाम करने से आयु लम्बी होती है।