देश-विदेश की यात्रा रामायण और गीता की होती है हम तो निमित्त मात्र हैं -डा०मदन मोहन मिश्र

 

पंचानन सिंह बगहा पश्चिमी चंपारण।

बगहा/मधुबनी 30 अक्टूबर। पूर्व प्राचार्य पंडित भरत उपाध्याय के निवास स्थान पर शुभाश्रम के प्रांगण में आयोजित श्री हनुमान जन्मोत्सव समारोह में काशी की धरती से पधारे अतिविशिष्ट विद्वान वक्ता डॉ मदन मोहन मिश्र (मानस कोविद) ने अपने प्रवचन में कहा कि -जीवन श्रेष्ठ बनाने केलिए आपको बस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना है। सफलता को अक्सर समग्र रूप से सर्वश्रेष्ठ होने के रूप में गलत समझा जाता है। जब हम इस मानसिकता के होते हैं, तो हम खुद का सर्वश्रेष्ठ संस्करण होने के बजाय दूसरों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ होने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत विकास और सुधार के उद्देश्य से सकारात्मक मानसिकता की आवश्यकता होती है, लेकिन, हम अक्सर इसे एक प्रतियोगिता के रूप में देखते हैं जहाँ जीतना ही एकमात्र लक्ष्य होता है। सच्चाई यह है कि भले ही हम जीवन के एक पहलू में जीतते हों, हम दूसरों में हार सकते हैं, इसलिए कोई सच्चा विजेता कभी नहीं होता। जीतना अस्थायी खुशी ला सकता है, लेकिन सच्ची खुशी व्यक्तिगत सुधार और पहले से बेहतर करने से आती है। हालाँकि, प्रथम होना पुरस्कृत करने जैसा लगता है, लेकिन यह सफलता का एकमात्र मापदंड नहीं होना चाहिए। भले ही आप प्रथम न हों, लेकिन आपने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है, यह जश्न मनाने लायक बात है। अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के लिए अनुशासन, प्रतिबद्धता और दृढ़ता की आवश्यकता होती है, और यह अपने आप में एक जीत है। आज ही तय करें कि आप जीतने वाले हैं। अपनी मान्यताओं को सीमित करना छोड़ दें, और जो आप वास्तव में चाहते हैं उसके पीछे जाएँ। मुझे लगता है कि हम दोनों जानते हैं कि आप जीतेंगे महान चीजें हासिल करने में सक्षम हैं,आपको रोकने वाला कोई नहीं है, सिवाय आपके।

इसके पूर्व की वक्ता अखिलेश्वरी जी ने संगीतमय प्रवचन में कहा कि -सतियों, संतों और शूरवीरों से हमारा देश महान हुआ है।

लोकप्रिय विद्वान वक्ता पंडित हेमंत तिवारी ने कहा कि रति, मति और गति के प्रति सकारात्मक सोच रखें। ब्रह्म के चौबीस अवतारों में सिर्फ रामावतार में दो ब्रह्म, परशुरामजी और श्री राम जी का हुआ है।

सुमधुर संगीतमय सरस कथा वाचन में सिद्धहस्त प्रिया प्रियदर्शनी जी ने श्री राम के चरित्र का वर्णन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय, अखिलेश शाण्डिल्य, अद्वैत शांडिल्य, यशुमणि, आशीष मणि ,मनीष मणि, छोटू मणि, एडवोकेट प्रेमनारायण मणि, विश्वेश्वर मणि, धीरेन्द्र मणि,उमेश यादव,देवेंद्र उपाध्याय सहित हजारों की संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

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