
पंचानन सिंह बगहा पश्चिमी चंपारण।
मधुबनी 12 जून 2025।बगहा अनुमंडल अंतर्गत मधुबनी प्रखंड स्थित राजकीय कृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज मधुबनी के पूर्व प्राचार्य एवं प्रख्यात पर्यावरणविद् पं०भरत उपाध्याय ने आम जन को सावधान करते हुए कहा कि भीषण गर्मी व लू से पूरा मैदानी इलाका झुलस रहा है। सिर्फ दिन ही नहीं , रातें भी भीषण गर्मी के चपेट में है। पर्यावरण असंतुलन से ही बढ़ रही है तपिश! आसमान से बरस रही आग की वजह से जनजीवन अस्त -व्यस्त हो गया है ।अत्यधिक गर्मी का कारण ,हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है। देश में बिछ रही सड़कों के जाल ,नए बसाए जा रहे शहर ,औद्योगिक नगर, पेड़ों की कटान के लिए जिम्मेदार हैं ।इसी वजह से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है ।इसका खामियाजा प्राकृतिक आपदाओं के रूप में पड़ रहा है। जाड़ा, गर्मी और वर्षा की स्थिति में लगातार बदलाव हो रहा है। इस समस्या का एक ही समाधान है जितना पेड़ कट रहे हैं उसके दो गुना पौधारोपण किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों पड़ रही भीषण उमस भरी गर्मी,सुबह होते ही भगवान सूर्य की किरणें तेज हो जा रही हैं। जिससे दिन चढ़ने के साथ ही तपिस और बढ़ती जा रही है ।इस बीच विद्युत कटौती से लोग और भी परेशान हैं ।घरों में कामकाजी महिलाएं, छोटे बच्चे व बुजुर्ग लोग भीषण गर्मी में उबल जा रहे हैं। आगामी 15 जून तक ज्यादा गर्मी पड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है। नर्सरी में डाले गए धान की बेहन मुरझा रहे हैं। पशु पक्षियों को भी पीने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। तालाब और पोखरा सूख चुके हैं। इतनी भयावह गर्मी पड़ रही है कि, दोपहर में कोई व्यक्ति यदि बिना जूता चप्पल के बाहर निकले तो पैर में छाले पड़ जाएंगे ।पुरुवा हवा चलने से उमस बढ जा रही है ।जिसमें पंखा व कूलर कम काम कर रहा है। सार्वजनिक स्थलों पर प्याऊ की व्यवस्था भी नहीं दिख रही है। जरूरत पड़ने पर लोग पानी खरीद कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। हकीकत यह है कि सड़क के किनारे पेड़ पौधों की कमी के साथ, एयर कंडीशनर से निकलने वाली गैस तापमान को बढ़ा रही है। सड़क पर दौड़ती एसी कार इस समस्या को बढ़ा रही है। एसी का अधिक उपयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रहा है। शुष्क त्वचा, निर्जलीकरण, श्वसन संबंधी समस्याएं ,एलर्जी और अस्थमा, सर दर्द और माइग्रेन आदि कुछ उदाहरण हैं ।इसके अतिरिक्त एसी में रहने से शरीर की गर्मी को सहन करने की क्षमता कम हो रही है। मनुष्य को न्यूनतम एसी का प्रयोग करना चाहिए। पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से स्वच्छ ,शीतल, सुगंधित हवा पेड़ पौधों से मिलती है। अतः अधिक से अधिक पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षित कर अपना जीवन सुरक्षित करें।