मध्यमवर्गीय परिवारों में जन्म ले रही है आत्मघाती समस्या-पं०भरत उपाध्याय

 

बगहा।परिवार के सदस्यों में वाद-विवाद होता रहता है, लेकिन जब ये रोज होने लगे तो घर के वातावरण में अशांति फैल जाती है। कभी-कभी यह विवाद कोई बड़ी घटना का रूप भी ले लेते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए प्रतिदिन सुबह सूर्योदय के समय घर के उस मटके या बर्तन में से एक लोटा जल लें जिसमें से घर के सभी सदस्य पानी पीते हों और उस जल को अपने घर के प्रति कमरे में, घर के छत पर तथा हर स्थान पर छिड़कें! इस दौरान किसी से कोई भी बात नहीं करें एवं मन ही मन ऊं शांति ऊं मंत्र बोलते रहें ।कुछ ही समय में आपकी यह समस्या दूर हो जाएगी। परिवार में आजकलअब एक नई सामाजिक समस्या उत्पन्न होने लगी है जिसकी घुटन अब अधिकांश घरों में देखने को मिलने लगी है।

आज अधिकांश माता पिता अपनी पुत्रियों को विवाह पूर्व नौकरी करवाकर अपने लिये एक समस्या तैयार कर रहे हैं और उन्हें उनके विवाह में जो समस्याएं आती है उसका हल निकालना उनके लिये अब दुष्कर होता जा रहा है।

*समस्या को समझें –*

आत्म निर्भर हो जाने के कारण अधिकांश पुत्रियाँ माँ – बाप का विरोध करने लगी हैं । *नहीं मानती माता-पिता की बात ।* नौकरियों में उनका वेतन अधिक होने से उनसे कम वेतन वाले लड़के उन्हें पसन्द नहीं आते हैं ।

अन्य शहर में नौकरी करने के कारण उनके विजातीय लड़कों से रिलेशिनशिप की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता, एवं लोक लाज का भय भी नहीं रह जाता है।

एक बार नौकरी करने पर नौकरी छोड़ने को तैयार नहीं होती, जिससे जिस शहर में नौकरी करती है उस शहर में ही कार्यरत लड़की से अधिक पैकेज वाला आपके शहर का रहने वाला सजातीय वर चाहिये जो कि माता पिता के लिये जटिल कार्य हो चुका है।

*ऐसे वर की तलाश में उनकी विवाह की उम्र निकल जाती है।* ऐसा वर ढूँढ़ना उन के लिये ही क्या? किसी के लिये भी मुश्किल कार्य है।

*बाहर के शहरों में रहने से लड़कियां स्वच्छंद तरीके से जीना सीख लेती हैं*, फिर उसे, पालकों द्वारा उपदेशित छोटी छोटी बातें भी संकीर्ण लगने लगती है।उम्र का तकाजा कहें या शारीरिक बदलाव की वज़ह से बच्चियों में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जो उसे पुरुषों की ओर आकर्षित करते हैं पर *उसके साथ घर का कोई सदस्य ना होने से कोई रोक-टोक नहीं रहती* जिससे वे गलत मार्ग पर चल पड़ती हैं और उचित मार्ग का निर्णय नहीं ले पातीं।

*अत: सभी माता पिता से निवेदन है कि यह निर्णय ना लें कि-*कन्या को कुछ वर्ष नौकरी करा लेंगे फिर शादी करेंगे, *बहुत ही विपरीत परिस्थितियों में अगर नौकरी करवानी ही हो तो अपने ही शहर में अपने आंखों के सामने घर में ही रखकर नौकरी करवा सकते हो*

तो उस पर विचार करें अन्यथा कदापि ना करवाएं। वरना आपको भविष्य में आनेवाली जटिल समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

*यह सुझाव आपको उस वक्त याद आयेगा जब आप भी अन्य भाई लोगों की तरह अपनी पुत्री के विवाह के लिये जटिल समस्या मे फंसे होंगे।*

इसलिए अपनी बेटियों का विवाह स्वयं के विवेक से सही समय (18से 21) में करें और भविष्य में आने वाली समस्याओं से बचें।

यदि कोई भाई- बहन मेरी सोच से सहमत नहीं हो या किसी को बुरा लगे तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं। आज हमारे समाज में जो तलाक के केस बढ़ रहे हैं उसका भी सबसे बड़ा कारण यही है क्योंकि जो बच्चियां कमाना सीख जाती हैं वह सास ससुर की न बात सुनती हैं ना पति की, उसके मन में एक ही विचार आता है इससे ज्यादा पैसा तो मैं वैसे ही कमा लेती हूं तो मैं क्यों किसी की बात सुनूं? और ऐसा कोई घर नहीं है जहां दो बर्तन नहीं बजते हो किंतु कमाने वाली बच्चियां इस बात को नहीं समझती और नतीजा तलाक तक पहुंच जाता है! आजकल ऐसे केस आप लोगों को बहुत देखने को मिलेंगे! हृदयाघात से हो रही मृत्यु की यह प्रमुख समस्या है! मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह विचारणीय है।

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