गुरुजी पं.भरत उपाध्याय का अपने प्रिय शिष्य रतनदेव राव उर्फ गुडलक राव को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि की अर्पित

 

पंचानन सिंह बगहा पश्चिमी चंपारण।

बगहा 20 अक्टूबर।दिन-रात दुनिया में दु:ख की, शोक की, पीड़ा की, निराशा की, वियोग की, रोग की और मृत्यु की सूचना हम सभी को व्याकुल कर देती है। ऐसे में सिर्फ भगवान का ही एक मात्र सहारा है।हम सभी उस परम पिता परमेश्वर से स्व० रतनदेव राव उर्फ गुडलक राव के आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना करते हैं।शेष उनसे बने सभी रिश्ते और उनके रिश्तेदार हर पल तड़पते हुए , उस पुण्यात्मा की सद्गति में सहयोगी बनें।

हमें उम्मीदें अक्सर दुख पहुंचाती हैं क्योंकि जब वे पूरी नहीं होतीं तो हम उपेक्षित महसूस करते हैं।  हर रिश्ते में हमारी कुछ उम्मीदें होती हैं। रिश्ता जितना घनिष्ठ होगा, अपेक्षाएँ उतनी ही अधिक होंगी। इसके साथ मुद्दा यह है कि अधूरी उम्मीदें अक्सर गहरे भावनात्मक घावों, संघर्षों और असहमतियों को जन्म देती हैं।

गहरे संबंध विकसित करें, लेकिन कोशिश करें कि आप अपने प्रियजनों से वह सब कुछ पूरा होने की उम्मीद न करें जो आप चाहते हैं। वे आपके लिए जो करने में सक्षम हैं, उसके लिए उनकी सराहना करें। यदि वे कुछ अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते हैं तो जाने दें! अब ईश्वर का नाम जप ही एक मात्र सहारा है।

Leave a Comment