पंचानन सिंह बगहा पश्चिमी चंपारण।
मधुबनी।एक ऐसा त्यौहार* *कोई दंगा नहीं!*इंटरनेट कनेक्शन* *नहीं काटा जाता,*किसी शांति समिति की* *बैठक कराने की जरुरत नहीं पड़ती*,
*चंदे के नाम* *पर गुंडा गर्दी नहीं होती* *और जबरन उगाही भी* *नहीं ! शराब की दुकाने बंद*रखने का नोटिस नहीं* *चिपकाना पड़ता!*
*मिठाई के नाम* *पर मिलावट नहीं परोसी*जाती है!*
*ऊंच – नीच का*भेद नहीं होता व्यक्ति-धर्म* *विशेष के जयकारे* *नहीं लगाते, किसी से* *अनुदान और अनुकम्पा की* *अपेक्षा नहीं रहती है, राजा* *रंक एक कतार में खड़े* *होते हैं, समझ से परे रहने* *वाले मंत्रो का उच्चारण* *नहीं होता और दान* *दक्षिणा का रिवाज नहीं है । **
*एक ऐसी पूजा जिसमें कोई* *पुजारी नहीं होता,*
*जिसमें देवता प्रत्यक्ष हैं*
*जिसमें ढूबते सूर्य को भी पूजते हैं,*जिसमें व्रती जाति समुदाय से परे हैं।*
*जिसमें केवल लोक गीत गाते हैं,*जिसमें पकवान घर पर बनते हैं*जिसमें घाटों पर कोई ऊँच नीच नहीं है,*जिसमें प्रसाद अमीर गरीब सभी श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।*
*जिसमे प्रकृति संरक्षण का बोध होता है*जिसमे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिलती हो*ऐसे सामाजिक सौहार्द, सद्भाव, शांति, समृद्धि और सादगी के महापर्व छठ की शुभकामनाएं।*
*🌷 गुरुजी 🌷*