
पंचानन सिंह बगहा पश्चिमी चंपारण।
बगहा।अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत प्रखण्ड बगहा एक के कई जगहों पर किसान यूरिया खाद को मनमाने दामों पर खरीदने के लिए मजबूर हैं।सरकारी मूल्य 266 रुपए की बजाय 500 की मूल्यों पर कुछ दुकानदार अधिक दाम लेकर या यूरिया के साथ अन्य उत्पाद जबरदस्ती बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं।किसानों को यूरिया खाद खरीदने जाने पर दुकानदारों द्वारा कहा जाता है कि अभी यूरिया खाद नही हैं दो दिन बाद आयेगा।इसी तरह दो दिन कहकर टाल मटोल कर दिया जाता है।किसानों मजबूर होकर उचित मूल्य के बजाय उच्च दरों में यूरिया खाद लेना पड़ रहा हैं। कुछ किसानों का कहना है कि दुकानदारों ने दुकान में यूरिया खाद रखने के बजाए दूसरे जगहों पर छुपा कर रखा गया है।जो जांच का विषय है।दिखावे के लिए थोड़ा बहुत जल्द बाजी में बांटते हैं ओ भी 450 से 500 सौ रूपए में।किसानों का कहना है कि प्रत्येक पंचायत में कृषि पदाधिकारियों द्वारा पंचायत स्तर पर निगरानी सौंपी जाए,जिससे कालाबाजारी पर लगाम लग सकें।वही इस तरह की रवैया से अधिकारियों पर कई तरह सवाल किसानों द्वारा उठ रहा हैं।यूरिया खाद की कालाबाजारी
कुछ दुकानदार यूरिया की कमी का फायदा उठाकर अधिक दामों पर बेच रहे हैं, जिससे किसानों को परेशानी हो रही है।
कुछ दुकानदार यूरिया के साथ अन्य उत्पाद जैसे बचे हुए पुराने खपत करने के लिए सल्फर या जिंक भी जबरदस्ती बेच रहे हैं,जिसका एक्सपायरी भी हो गया है। जिससे किसानों को बिना जरूरत के भी खरीदना पड़ रहा है। जिससे किसानों को निजी दुकानों से अधिक दामों पर खरीदना पड़ रहा है।
कई किसानों की शिकायत की है कि अधिकारियों की मूकदर्शक के कारण
किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही हैं।वही
अधिक दामों पर यूरिया खरीदने से किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। साथ ही खाद की कमी या अधिक दामों के कारण खेती में देरी हो रही है।सही समय पर खाद न मिलने से फसल को नुकसान हो सकता है।किसानों की यूरिया खाद की समस्या के समाधान के लिए सरकार और अधिकारियों को उचित मूल्य पर यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए और कालाबाजारी को रोकना चाहिए।
अधिकारियों को दुकानों पर निगरानी रखनी चाहिए और मनमानी करने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।किसानों को यूरिया की सही कीमत और उपयोग के बारे में जागरूक करना चाहिए।यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि किसानों को उनकी फसलों के लिए सही समय पर और उचित मूल्य पर खाद उपलब्ध हो, ताकि वे अपनी खेती सुचारू रूप से कर सकें।