पंचानन सिंह बगहा पश्चिमी चंपारण।
बगहा/मधुबनी। पूर्व प्राचार्य पंडित भरत उपाध्याय के निवास स्थान पर शुभाश्रम में, नृत्य, गीत एवं प्रवचन के माध्यम से जीवन जीने की दिशा में सार्थक प्रयास किया गया। इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य पं०भरत उपाध्याय ने कहा कि
जब कोई बेटा या बेटी ये कहे कि मेरे माँ बाप ही मेरे हनुमान हैं।
जब कोई माँ बाप अपने बच्चों के लिए ये कहे, कि ये हमारे कलेजे की कोर हैं,पचास साल की आयु में भी आप निरोगी और स्वस्थ हैं।
कोई सास अपनी बहु के लिए कहे कि ये मेरी बहु नहीं बेटी है और कोई बहु अपनी सास के लिए कहे कि ये मेरी सास नहीं मेरी माँ है,जिस घर में बड़ो को मान और छोटो को प्यार भरी नज़रो से देखा जाता है,जब कोई अतिथि कुछ दिन आपके घर रहने के पशचात् जाते समय दिल से कहे की आपका घर …घर नहीं मंदिर है यही सत्संग की सार्थकता है।आप सभी को ऐसे *”परम तत्व”* की प्राप्ति हो।
*वसुधैव कुटुम्बकम्*